सांपो से जुड़े ये 15 अद्भुत रहस्यl . Must read.

सांपो से जुड़े ये 15 अद्भुत रहस्यl

.by.Abhishek singh yadab uttamपुराण सनातन धर्म के ग्रंथ हैं, जो बेहद प्राचीन हैं।  हमारे प्राचीन ग्रंथों में से एक ‘भविष्य पुराण’ में सांपो से जुडी कई आश्चर्यजनक बातें बताई गई है। आज हम अपने पाठकों को भविष्य पुराण में दर्ज वो सब बातें  बता रहे है।

1. भविष्य पुराण में बताया गया है कि नागों के प्रजनन का समय ज्येष्ठ और आषाढ़ मास होता है। इन दिनों नाग मैथुन करते हैं। यानी यह महीना सांपों के गर्भ धारण का समय है।

2. वर्षा ऋतु के चार महीने तक सार्पिनी गर्भ धारण करती है और कार्तिक के महीने में सर्पिनी प्रसव करती है यानी अंडे देती है।

3. गर्भवती नागिन एक बार में दो सौ चालीस अंडे देती है।

4. नाग अपने अंडों को स्वयं खा जाता है। ईश्वरीय कृपा से जो अंडे बच जाते हैं उनसे नागों का वंश आगे बढ़ता है।

5. सोने के समान आभा वाले अंडे से नाग का जन्म होता है।

6. लंबी रेखाओं से युक्त अंडों से नागिन उत्पन्न होती है।

7. पुराण के अनुसार नागों में भी नपुंसक पैदा होते हैं। इनके बारे में बताया गया है कि ललिमा युक्त अंडे से जन्म लेने वाले नाग नपुंसक होते हैं।

8. अंडे से बाहर आने के केवल सात दिन बाद संपोलों का रंग काला हो जाता है।

9. अंडे से बाहर आने के 21 दिन बाद नाग के विषदंत आ जाते हैं और 25 दिन बाद नागों में किसी के प्राण छीनने की क्षमता आ जाती है।

10. नाग दीर्घायु होते हैं। अगर यह अकाल मृत्यु से बच जाए तो यह 120 वर्ष तक जीवित रह सकते है।

11. जो सांप समय से पहले जन्म ले लेते हैं उनका विष मंद होता है और उनकी आयु भी कम होती है।

12. मनुष्य की तरह सांप के भी बत्तीस दांत होते हैं। इनके चार विषैले दाढ़ होते हैं जिनके नाम हैं मकरी, कराली, कालरात्री और यमदूती।

13. सांप जब किसी को काटकर पूरा विष उगल देता है तब पेट के बल उलट जाता है। इस प्रकार से सांप जिसे काट लेता है उसका जीवित बचना बड़ा कठिन होता है।

14. सांप के दो सौ चालीस सूक्ष्म पैर होते हैं इसलिए दिखाई नहीं देते। चलते समय यह पैर बाहर निकल आते हैं अन्य समय शरीर में प्रविष्ट कर जाते हैं।

15. भविष्य पुराण के अनुसार सर्प के काटने से जिनकी मृत्यु होती है वह वह अधोगति को प्राप्त करते हैं और अगले जनम में बिना विष वाले सांप होते हैं।
Jai hind.vande mataram.

Sanskarit bhasha K adbhut fact. Must read.

      BY ABHISHEK YADAV UTTAM.संस्कृत संसार की सबसे प्राचीन भाषा है। यह सभी भाषाओं की जननी मानी जाती है।  इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। संस्कृत में हिन्दु धर्म से संम्बंन्धित सभी धर्मग्रन्थ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म और जेन धर्म के भी कई महत्वपूर्ण ग्रंन्थ संस्कृत में लिखे गए हैं।आइए हमारी इस उन्नत भाषा के बारे में कुछ रोचक तथ्य जानते हैं-

1. 1987 में अमरीका की फोब्र्स पत्रिका के अनुसार संस्कृत कंप्युटर प्रोग्रामिंग के लिए सबसे अच्छी भाषा है। क्योंकि इसकी व्याकरण प्रोग्रामिंग भाषा से मिलती जुलती है।

2. जर्मन स्टेट युनिवर्सिटी के अनुसार हिंदु कैलेंडर वर्तमान समय में इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे अच्छा कैलेंडर है। क्योंकि इस कैंलेडर में नया साल सौर प्रणाली के भूवैज्ञानिक परिवर्तन के साथ शुरू होता है।

3. अमेरिकन हिंदु युनिवर्सिटी के अनुसार संस्कृत में बात करने वाला मनुष्य बीपी, मधुमैह, कोलेस्ट्रॉल आदि रोग से मुक्त हो जाएगा। संस्कृत में बात करने से मानव शरीर का तंत्रिका तंत्र सक्रिय रहता है जिससे कि व्यकति का शरीर सकारात्मक आवेश के साथ सक्रिय हो जाता है।

4. संस्कृत साहित्य का अधिकतर साहित्य पद्य में रचा गया है, जब कि अन्य भाषाओं का ज़्यादातर साहित्य गद्य में पाया जाता है।

5. दुनिया के 17 देशों में एक या अधिक संस्कृत विक्ष्वविद्यालय संस्कृत के बारे में अध्ययन और नई प्रौद्योगिकी प्राप्त करने के लिए हैं, पर संस्कृत को समर्पित उसके वास्तविक अध्ययन के लिए एक भी संस्कृत विक्ष्वविद्यालय भारत में नही है।

6. दुनिया की 97 प्रतीशत भाषाएँ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसी भाषा से प्रभावित हैं। हिन्दी, उर्दु, कश्मीरी, उड़िया, बांग्ला, मराठी, सिन्धी और पंजाबी भाषा की उत्पती संस्कृत से ही हुई है।

7. अमेरिका, रूस, स्वीडन,जर्मनी, इंग्लैंड, फ्रांस, जापान और ऑस्ट्रेलीया वर्तमान में भरत नाट्यम और नटराज के महत्व के बारे में शोध कर रहै हैं। (नटराज शिव जी कै कॉस्मिक नृत्य है। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के सामने शिव या नटराज की एक मुर्ति है।)

8. विक्ष्व की सभी भाषाओं में एक शब्द का एक या कुछ ही रूप होते हैं, जबकि संस्कृत में प्रत्येक शब्द के 25 रूप होते हैं।

9. शोध से पाया गया है कि संस्कृत पढ़ने से स्मरण शक्ति(यादआशत) बढ़ती है।

10. इंग्लैंड़ वर्तमान में हमारे श्री-चक्र पर आधारित एक रक्षा प्रणाली पर शोध कर रहा है।

11. संस्कृत वाक्यों में शब्दों की किसी भी क्रम में रखा जा सकता है। इससे अर्थ का अनर्थ होने की बहुत कम या कोई भी सम्भावना नही होती। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सभी शब्द विभक्ति और वचन के अनुसार होते हैं। जैसै- अहं गृहं गच्छामि यागच्छामि गृहं अहं दोनो ही ठीक हैं।

12. नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार जब वो अंतरिक्ष ट्रैवलर्स को मैसेज भेजते थे तो उनके वाक्य उलट हो जाते थे। इस वजह से मैसेज का अर्थ ही बदल जाता था। उन्होंले कई भाषाओं का प्रयोग किया लेकिन हर बार यही समस्या आई। आखिर में उन्होंने संस्कृत में मैसेज भेजा क्योंकि संस्कृत के वाक्य उलटे हो जाने पर भी अपना अर्थ नही बदलते हैं। जैसा के उपर बताया गया है।
JAI MATA DEE. JAI DURGA BHAVANI.

BHARAT KA ADBHUT ITIHAASH.

   ABHISHEK YADAV UTTAM. मंगोलिया था हिन्दू राष्ट्र...!
जम्बू द्वीप में 9 देश है:- इलावृत, भद्राश्व, किंपुरुष, भारत, हरि, केतुमाल, रम्यक, कुरु और हिरण्यमय। पुराणों में जंबूद्वीप के 6 पर्वत बताए गए हैं- हिमवान, हेमकूट, निषध, नील, श्वेत और श्रृंगवान। इलावृत जम्बू द्वीप के बीचोबीच स्‍थित है।
इस इलावृत के मध्य में स्थित है सुमेरू पर्वत। इलावृत के दक्षिण में कैलाश पर्वत के पास भारतवर्ष, पश्चिम में केतुमाल (ईरान के तेहरान से रूस के मॉस्को तक), पूर्व में हरिवर्ष (जावा से चीन तक का क्षेत्र) और भद्राश्चवर्ष (रूस के कुछ क्षेत्र), उत्तर में रम्यक वर्ष (रूस के कुछ क्षेत्र), हिरण्यमय वर्ष (रूस के कुछ क्षेत्र) और उत्तर कुरुवर्ष (रूस के कुछ क्षेत्र) नामक देश हैं।
पुराणों के अनुसार इलावृत चतुरस्र है। वर्तमान भूगोल के अनुसार पामीर प्रदेश का मान 150X150 मील है अतः चतुरस्र होने के कारण यह 'पामीर' ही इलावृत है। इलावृत से ही ऐरल सागर, ईरान आदि क्षेत्र प्रभावित हैं।
आज के किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, तजाकिस्तान, मंगोलिया, तिब्बत, रशिया और चीन के कुछ हिस्से को मिलाकर इलावृत बनता है। मूलत: यह प्राचीन मंगोलिया और तिब्बत का क्षेत्र है। एक समय किर्गिस्तान और तजाकिस्तान रशिया के ही क्षेत्र हुआ करते थे। सोवियत संघ के विघटन के बाद ये क्षेत्र स्वतंत्र देश बन गए।
आज यह देश मंगोलिया में 'अतलाई' नाम से जाना जाता है। 'अतलाई' शब्द इलावृत का ही अपभ्रंश है। सम्राट ययाति के वंशज क्षत्रियों का संघ भारतवर्ष से जाकर उस इलावृत देश में बस गया था। उस इलावृत देश में बसने के कारण क्षत्रिय ऐलावत (अहलावत) कहलाने लगे।
इस देश का नाम महाभारतकाल में ‘इलावृत’ ही था। जैसा कि महाभारत में लिखा है कि श्रीकृष्णजी उत्तर की ओर कई देशों पर विजय प्राप्त करके ‘इलावृत’ देश में पहुंचे। इस स्थान को देवताओं का निवास-स्थान माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने देवताओं से ‘इलावृत’ को जीतकर वहां से भेंट ग्रहण की।
इलावृत देश के मध्य में स्थित सुमेरू पर्वत के पूर्व में भद्राश्ववर्ष है और पश्चिम में केतुमालवर्ष है। इन दोनों के बीच में इलावृतवर्ष है। इस प्रकार उसके पूर्व की ओर चैत्ररथ, दक्षिण की ओर गंधमादन, पश्चिम की ओर वैभ्राज और उत्तर की ओर नंदन कानन नामक वन हैं, जहां अरुणोद, महाभद्र, असितोद और मानस (मानसरोवर)- ये चार सरोवर हैं। माना जाता है कि नंदन कानन का क्षेत्र ही इंद्र का लोक था जिसे देवलोक भी कहा जाता है। महाभारत में इंद्र के नंदन कानन में रहने का उल्लेख मिलता है।
सुमेरू के दक्षिण में हिमवान, हेमकूट तथा निषध नामक पर्वत हैं, जो अलग-अलग देश की भूमि का प्रतिनिधित्व करते हैं। सुमेरू के उत्तर में नील, श्वेत और श्रृंगी पर्वत हैं, वे भी भिन्न-भिन्न देशों में स्थित हैं।
( इस पेज पर सभी पोस्ट में तर्कहीन अलौकिक बातों को छोडकर ऐतिहासिक तथ्य ही पकडें ।)
पहले इल : ब्रह्मा के पुत्र अत्रि से चंद्रमा का जन्म हुआ। चंद्रमा से बुध का जन्म हुआ। बुध का विवाह स्वायंभुव मनु की पुत्री इल से हुआ। इल-बुध सहवास से पुरुरवा हुए। पुरुरवा के कुल में ही भरत और कुरु हुए। कुरु से कुरुवंश चला। भारत के समस्त चन्द्रवंशी क्षत्रिय पुरुरवा की ही संतति माने जाते हैं।
ऐल लोगों के साथ उत्तर कुरु लोगों का भी एक बड़ा भाग था। ऐल ही कुरु देश (पेशावर के आसपास का इलाका) में बसने के कारण कुरु कहलाते थे। इतिहासकारों के अनुसार ये ऐल ही पुरुरवा (पुरु) था। यूनान और यहूदियों के पुराने ग्रंथों में ऐल के पुत्रों का जिक्र मिलता है। इस ऐल के नाम पर ही इलावृत देश रखा गया।
दूसरे इल : इस देश (इलावृत) का नाम दक्ष प्रजापति की पुत्री इला के क्षत्रिय पुत्रों से आवृत होने के कारण इलावृत रखा गया। आज यह देश मंगोलिया में 'अतलाई' नाम से जाना जाता है। 'अतलाई' शब्द 'इलावृत' का ही अपभ्रंश है। सम्राट ययाति के वंशज क्षत्रियों का संघ भारतवर्ष से जाकर उस इलावृत देश में आबाद हो गया। उस इलावृत देश में बसने के कारण क्षत्रिय ऐलावत (अहलावत) कहलाने लगे।
तीसरे इल : वायु पुराण के अनुसार त्रेतायुग के प्रारंभ में ब्रह्मा के पुत्र स्वायंभुव मनु के दूसरे पुत्र प्रियवृत ने विश्वकर्मा की पुत्री बहिर्ष्मती से विवाह किया था। प्रियवृत के पुत्र जम्बू द्वीप के राजा अग्नीन्ध्र के 9 पुत्र हुए- नाभि, किम्पुरुष, हरिवर्ष, इलावृत, रम्य, हिरण्यमय, कुरु, भद्राश्व और केतुमाल। राजा आग्नीध ने उन सब पुत्रों को उनके नाम से प्रसिद्ध भूखंड दिया। इलावृत को मिला हिमालय के उत्तर का भाग। नाभि को मिला दक्षिण का भाग।
चौथे इल : वैवस्वत मनु के 10 पुत्र थे- इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यंत, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध। पुराणों में वैवस्वत मनु का भी स्थान सुमेर पर्वत बताया जाता है, जो कि इलावृत के मध्य में कहा गया है। पहले पुत्र इल के नाम पर ही इलावृत रखा गया।
यूराल-पर्वत से ’यूराल’ नाम की एक नदी भी निकलती है। 'इरा' का अर्थ जल होने से इरालय का अर्थ नदी हो जाता है। आर्यों की योरपीय शाखा सम्भवतः यूराल-पर्वत-श्रेणी के आसपास के प्रदेशों से ही अलग हुई और उनमें से एक ने इलावर्त की स्थापना की।
इसके अनन्तर वायुपुराण में हिरण्मयवर्ष का होना बतलाया गया है। हिरण्मय के बाद श्वेत-पर्वत और उसके बाद रम्यक-वर्ष है। रम्यकवर्ष के बाद नीलपर्वत और तत्पश्चात् इलावृत है। हम एशिया के मानचित्र में इन पाञ्च स्थानों का क्रमिक निर्देश करते हुए इलावृत का निर्देश Elburz (एलबर्ज़)-पर्वत से कर सकते हैं। यह एलबर्ज़ कास्पियन-सागर के उत्तर पश्चिम तक फैला हुआ है। इन पहाड़ी प्रदेशों के उत्तर काकेसस पर्वत है। काकेसस पर्वत के निकटवर्ती प्रदेश की भूमि । यदि एलबर्ज़ के आसपास (कास्पियन-सागर के पश्चिमी किनारे से लेकर दक्षिण-पूर्व तक) हिन्दुओं के इलावृत-देश को मान लें तो काकेसस, जो नील-सागर के उत्तर-पूर्व है, नील-पर्वत का स्थान ग्रहण कर सकता है।
अखंड भारत जम्बूद्विप !
JAI HIND.VANDE MATRAM.
YOU TUBE--GYANVARDHAK LABHDAYAK.

Fact in hindi

By abhishek yadav uttam..
Einstein के अनुसार हम रात के समय आकाश में जिन लाखों तारों को जहाँ देखते है उस जगह नही होते ब्लकि किसी और जगह होते हैं। हमें तों उनके द्वारा छोडा गया कई लाख प्रकाश साल पहले का प्रकाश दिखाई पड़ रहा होता है।

2: किसी भी वर्गाकार सूखे कागज को आधा- आधा करके 7 बार से अधिक बार नहीं मोड़ा जा सकता।

3: इंसान खाना खाए बिना कई हफ्ते जीवित रह सकता है, लेकिन सोए बिना केवल 11 दिन ही रह सकता है।

4: आकाशीय बिजली कड़कने से जो तापमान पैदा होता है वह सूर्य की सतह पर पाए जाने वाले तापमान से पांच गुना ज्यादा होता है।

5: हम शाम के मुकाबले सुबह लगभग 1 cm लम्बे होते हैं।

6: धरती पे जितना भार सारी चीटीयों का है उतना ही सारे मनुष्यो का है।

7: कॉकरोच सिर कटने के बाद भी कई सप्ताह तक जिंदा रह सकता है। दरअसल वह सिर कटने से नहीं, भूख से मरता है।

8: ग्रीक और बुलगागिया में एक युद्ध सिर्फ इसलिए लड़ा गया था क्योंकि एक कुत्ता उनका border पार कर गया था।

9: 1894 में जो सबसे पहला कैमरा (Camera) बना था उससे आपको अपनी फोटो खीचने के लिए उसके सामने 8 घंटे तक बैठना पड़ेगा।

Interesting Facts in Hindi रोचक तथ्य

10: लोग सबसे ज्यादा तेज फैसले तब लेते है जब वह वीडियो गेम खेल रहे होते हैं।

11: हर साल में दो मिनट ऐसे होते है जिन्में 61 सैकेंड होते हैं।

12: पैराशूट (Parashut) की खोज हवाईजहाज से 1 सदी पहले हुई थी।

13: ब्लु वेहल (blue whale) एक साँस में 2000 गुबारो जितनी हवा खिचती है और बाहर निकालती है।

14: Octopus के तीन दिल होते हैं।

15: टाइटैनिक Titenic जहाज को बनाने को लिए उस समय 35 करोड़ 70 लाख रूपये लगे थे जब कि टाइटैनिक फिलम (titenic movie) बनाने के लिए 1000 करोड़ के लगभग लागत आई

16: अगर पृथ्वी को सेब के आकार का बना दे तो पृथ्वी के ऊपर वायुमंडल केवल उसके छिलके के बराबर है।

17: गरम पानी ठन्डे पानी से पहले बर्फ में बदल जाता है।

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18: मुंबई के ब्रेबॅार्न स्टेडियम में 1988 में खेल One day अभ्यास मैच में सचिन तेंदुलकर ने पाकिस्तान के लिए फ़ीलि्डिंग की थी।

19: हमारे शरीर में लोहा भी होता है इतना कि एक शरीर से प्राप्त लोहे से एक इंच की कील भी तैयार की जा सकती है |

20: कुत्ते और बिल्लीयाँ भी मनुष्य की तरह left या right-handed होते है।

21: बिजली की कुर्सी का आविष्कार एक दंत चिकित्सक (Dentist) ने किया था।

22: जिन लोगो कि शरीर पर तिलों की संख्या ज्यादा होती है वह औसतन कम तिल वाले लोगो से ज्यादा जीते हैं।

23: 100 की उम्र के पार पहुँचने वालो में से 5 में से 4 औरते होती हैं।

24: लगभग 100 चमगादड़ मिल के एक साल में 25 गाय का खून पी जाते हैं।

25: पुरूषों की shirts के बटन Right side पर जबकि औरतो left side के पर होते हैं।

Yog ka chamatkar

Abhishek yadav uttam .@@
बाबा रामदेव के बिजनेस के आगे सारी की सारी दिग्गज कंपनियां फेल होने जा रही हैं। पतंजलि के बिजनेस मंत्रा के आगे दिग्गज कंपनियां पानी मांगती नजर आ रही हैं।

New Delhi,Oct 20 : कौन कहता है कि मजबूत इरादों के आगे जीत नहीं होती। कभी एक छोटी सी आयुर्वेद कंपनी से शुरुआत करने वाले आचार्य बालकृष्ण और उनके मित्र बाबा रामदेव ने शायद इस बिजनेस मंत्र को फॉलो किया था। आज पतंजलि भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार है। यहां तक कि अमीर लोगों की लिस्ट बनाने वाले पत्रिका फोर्ब्स में भी पतंजलि को भारत की टॉप मोस्ट कंपनियों में कहा गया है। पहले तो देशभर की दिग्गज कंपनियों ने अपनी जुबान बंद की हुई थी लेकिन अब ये कंपनियां भी मानने लगी हैं कि पतंजलि के आगे इनता बिजनेस फेल हो रहा है। आपको बता दें कि पतंजलि के बारे में युनिलीवर का कहना है कि पतंजलि की वजह से उनकी कंपनी को कड़ी टक्कर मिल रही है और वो अब इसका तोड़ ढूंढने में लगे हुए हैं

देश की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार की जाने वाली हिंदुस्तान युनिलीवर की पैरेंट कंपनी युनिलीवर ने ये बात पहली बार स्वीकार कर दी है कि आचार्य बालकृष्ण की कंपनी पतंजलि से उन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है। युनिलीवर ने तो ये बयान भी दे डाला है कि पतंजलि से निपटने के लिए वो अपने नैचुरल सेगमेंट में नए प्रोडक्ट्स को लॉन्च करने जा रही है। यानी एक बात तो साफ है कि पतंजलि की पॉवर के आगे देश की दिग्गज कंपनियां फेल होती नजर आ रही हैं। आज के वक्त में पतंजलि आपकी जरूरत का हर सामान तैयार कर रही है और उसमें शुद्धता की सौ फीसदी गारंटी भी दे रही है। विदेशी सामानों का विरोध करने वाले योगगुरु स्वामी रामदेव इस कंपनी यानी पतंजलि के ब्रांड एंबेसडर भी हैं।

युनिलीवर के हेड एंड्रयू स्टीफन ने इन्वेस्टर्स के साथ हाल ही में एक कॉन्फ्रेंस कॉल की और कहा कि भारत में आयुर्वेदिक सेगमेंट में नया देखने को मिल रहा है। इसके साथ ही उन्होंने पतंजलि की तरफ इशारा करते हुए कहा कि पतंजलि को लेकर पूरे हिंदुस्तान में लोगों का पॉजिटिव रिएक्शन देखने को मिल रहा है। ये दूसरी बार है जब पतंजलि को लेकर किसी बड़ी और दिग्गज कंपनी ने कहा है कि उसकी ग्रोथ लगातार बढ़ रही है। इससे पहले कॉलगेट पामोलिव ने भी एक बयान जारी किया था और कहा था कि भारत में नैचुरल कहा जाने वाला सेगमेंट लगातार बढ़ रहा है और कंपनियां इस तरफ मौके तलाश रही हैं। ये पतंजलि की ही पावर है कि एक दशक से कम वक्त में ही तमाम बिजनेस के सूरमाओं को पीछ छोड़कर 5000 करोड़ रुपये के मालिकाना हक वाली कंपनी बन गई।

अब पतंजलि ने देश की बड़ी कंपनियों में शुमार हिंदुस्तान युनिलीवर की भी टेंशन बढ़ा दी है। बताया जा रहा है कि हिंदुस्तान युनिलीवर की डिमांड लगातार ग्रामीण इलाकों से घटती जा रही है और लोग पतंजलि के प्रोडक्ट्स पर यकीन करने लगे हैं। आपको यहां ये भी याद दिलाना चाहते हैं कि बाबा रामदेव ने अप्रैल में एक दावा किया था, जिसमें कहा गया था कि पतंजलि आयुर्वेद के पास युनिलीवर, कोलगेट और नेस्ले जैसी शक्तिशाली कंपनियों को पीछे छोड़ने की पूरी क्षमता है। अब कुल मिलाकर ऐसा ही देखने को मिल भी रहा है। पतंजलि आज के दौर में भारत के टॉप मोस्ट ट्रस्टेड ब्रांड में जगह हासिल कर चुका है। ये कड़ी मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि पतंजलि आज बिजनेस वॉर में भारत की टॉप मोस्ट कंपनियों को कड़ी टक्कर दे रही है।

सबसे ताकतवर योग

🍃   Copy of chahal g.आर्टीकल नं.18🍃
💪 बन जाओ मुकमल मर्द, गई सर्द 💪
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सर्दी में ताकत की दवाई खाने का जबरदसत फायदा है, सर्दी में हाजमा भी दूरूसत होता है, और दवाई भी गर्मी नहीं दिखाती। इसीलिये ये "सिद मकरधवज वटी" आपके लिये शेयर कर रहा हूँ। लेकिन कई लोग कापी पेसट करके मरीजों को भ्रमित करने का प्रयास करते हैं, उन भाईयों से जरूर प्रार्थना करूँगा कि कृपया ऐसा करके आयुर्वेद को बदनाम करें।
👉 यह योग मकरधवज से तैयार होने वाले योगों में सबसे प्रभावशाली योग है। इसके कुछ दिनों के सेवन से ही पुरानी से पुरानी नामर्दी ठीक हो जाती है। किसी भी उम्र में इसतेमाल किया जा सकता है। अकसर 30 से 50 की उम्र में या इसके बाद होने वाली कमजोरी में इतना प्रभावशाली साबित होता है कि कुछ ही दिनों में अपना प्रभाव दिखाकर नई रूह फूँक देता है।
👉 इसके इसतेमाल से शरीर "कामदेव" की तरह सुंदर औजपूर्ण हो जाता है। चेहरे पर रौणक नूर झलकने लगता है। गालों में पड़ने वाले गडडे दूर हो जाते हैं। याददासत तेज हो जाती है। बार- बार संभोग रचाने पर भी मर्द थकता नहीं है। नये वीर्य का निर्माण होना शुरू हो जाता है।
👉 जो भाई थोड़ा बहुत भी आयुर्वेद को जानते हैं, उनसे निवेदन है कि आप कापी पेसट करके पोसट की काँटछाँट करके नीचे अपना नाम पता बड़ी खुशी से लिखें, लेकिन एक बात का धयान रखें कि अगर आप दवाई या कोई योग किसी को देते हो तो सही मात्रा अछी कवालिटी की दवाईयों दवारा ही योग तैयार करके देवें। कयोंकि जो भी भाई दवाई लेता है, उसे कुछ पता नहीं होता। वह तो सिर्फ आपके उपर आयुर्वेद के उपर विशवास करके दवाई ले रहा है। अगर आप उसे कम मात्रा या घटिया कवालिटी के द्रव्य डालकर योग बनाकर दवाई दोगे, तो उसके फायदा करने की बजाय नुकसान ही करेगा। दूसरी बात ये कि अगर कोई नहीं देखता, तो "भगवान" तो देखता है। इस तरह कमाया गया धन आपको वफा नहीं करेगा, और आयुर्वेद से भी लोगों का विशवास उठने में देर नहीं लगेगी।
👏👏 अत:प्रार्थना है कि ऐसा कभी करें।
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👉 जो भाई खुद नहीं बना सकते, वह बना- बनाया योग मंगवाने के लिये अपनी केस हिसट्री बनवाकर हमसे मंगवा सकते हैं। सिर्फ मंगवाने के इछुक ही संपर्क करें। बिना वजह काल या मैसेज करके आप अपना हमारा कीमती समय खराब करें। काल करने का समय सुवह 9 बजे से शाम 5 बजे के दरम्यान है। इस समय के पहले या बाद में सिर्फ ऐमरजैंसी में ही काल करें।
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👉 योग निमन है:—
सिद मकरधवज सपैशल 40 ग्राम
भीमसैनी कपूर 40 ग्राम
कुसता सोना 10 ग्राम
वंग भसम (भाँग में तैयार की हुई)
10 ग्राम
अतुलशकतिदाता योग 10 ग्राम
लौंग 10 ग्राम
जायफल 10 ग्राम
जावित्री 10 ग्राम
असली अकरकरा 10 ग्राम
शुद्ध कुचला 10 ग्राम
कसतूरी 5 ग्राम
अंबर 5 ग्राम
नोट:— अपनी जरूरत के अनुसार इसी अनुपात में आप मात्रा कम जयादा ले सकते हैं।
👉 बनाने की विधि:—
सबसे पहले शिद्द मकरधवज सपैशल को लगातार 6 घंटे खरल करके उसकी चमक खतम करें। फिर भीमसैनी कपूर मिलाकर दोबारा से 6 घंटे खरल करें। फिर कुसता सोना, वंग भसम अतुलशकतिदाता योग डालकर 3 घंटे खरल करें। फिर कसतूरी को छोड़कर बाकी सब चीजों का बारीक कपड़छान चूर्ण (3 बार छानकर) मिलालें, 3-4 घंटे खरल में रगड़ाई करें। जब सारी चीजें एकजान हो जायें तो बारीक की हुई कसतूरी मिलाकर पान के पत्रों के सवरस में लगातार 6 घंटें मजबूत हाथों से घुटाई करें। फिर काली मिर्च के साईज जितनी गोलियाँ बनाकर छाया में सुखालें।
👉 मात्रा:—
1 या 2 गोली मलाई या मखन से सवेरे शाम लेकर करिशमा देखें। पहली खुराक ही शरीर में नई रूह फूँक देती। दस- पंद्रह दिनों के इसतेमाल से वृद्व भी जवानों जैसी ताकत महसूस करने लगेगा। जो लोग औरत के पास जाकर अपने लिंग में उतेजना महसूस नहीं करते वह 2 गोली मखन या मलाई से दो घंटे पहले लेकर देखें। बस शर्त यही है कि "शासत्रोकत- मर्यादा" से शुद्ध कवालिटी की दवाईयाँ डालकर बनाई गई हों।
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धंनयावाद
आपका अपना,
चहल ओशो आयुर्वेदा बबनपुर (रतिया)
वैधआर एस चहल,
9992473596
सवामी आतमो दर्शन,
9812860927.

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