कैसे बनाये एक बेहतरीन थंबनेल अपने यूट्यूब चैनेल के लिए ,जानिये इस लेख और वीडियो में।

कैसे बनाये एक बेहतरीन थंबनेल अपने यूट्यूब चैनेल के लिए ,जानिये इस लेख और वीडियो में।


      दोस्तों आपको देखना होगा ये वीडियो जो निचे दिया गया, है यह चैनेल
सब्सक्राइब करिये,   दोस्तों इस वीडियो में 2 ऐप्स का इस्तेमाल किया गया है
1. Photo editor 2.8mb size
2. pixallab.
इन्ही दोनों की मदद से आप बहुत ही शानदार thumbnail बनाकर
अपने वीडियोस पे ढेर सारे लाइक्स और व्यूज पा सकते है,
टेक्नोलॉजी से जुडी हर चीज जानने के लिए आप हमारे यूट्यूब चैनेल
gridy tech को सब्सक्राइब कर सकते है , यहां आपको टेक्नोलॉजी से जुडी
 हर जानकारी मिलती रहेगी , वीडियो जरूर देखे जिससे आप आसानी से 
समझ सके सब कुछ, आपका दोस्त अभिषेक,

लेबरा डॉग के बारे में कुछ तथ्य और वीडियो,

in this video, the labera dog puppy is playing ,
About labera dog.
This list of Labrador Retrievers covers notable individual dogs that belong to this breed. The Labrador retriever is the most popular breed of dog (by registered ownership) in both the United States and the United Kingdom. The breed is exceptionally affable, intelligent, energetic and good natured, making them excellent and popular pets, companions and working dogs. They have a high work ethic[1] Common working roles for Labradors include: hunting, tracking and detection, disabled-assistance, carting, and therapy work. Approximately 60–70% of all guide dogs in the United States are Labradors.

As both the most popular breed by registered ownership and also the most popular breed for service dogs in several countries, there have been many notable and famous labradors since the breed was recognize.

pythagoras Theorem भारत की देंन है,२३२.Jvr.

पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें। abhishek yadav uttam.JVR.
  • एक प्रमेय (Theorem) होती है जिसका हम नवमी-दसमी से लेकर बारह्वी कक्षा तक प्रयोग करते हैं, जिसे हम पईथागोरस थेओरम कहते हैं| पईथागोरस का जन्म हुआ ईसा से आठ शताब्दी पहले हुआ था और ईसा के पंद्रहवी शताब्दी पहले के भारत के गुरुकुलों के रिकार्ड्स बताते हैं कि वो प्रमेय हमारे यहाँ था, उसको हम बोधायन प्रमेय के रूप में पढ़ते थे|

बोधायन एक महिर्षि हुए उनके नाम से भारत में ये प्रमेय ईशा के जन्म के पंद्रहवी शताब्दी पहले पढाई जाती थी यानि आज से लगभग साढ़े तीन हज़ार साल पहले भारत में वो प्रमेय पढाई जाती थी, बोधायन प्रमेय के नाम से और वो प्रमेय है – किसी आयत के विकर्ण द्वारा व्युत्पन्न क्षेत्रफल उसकी लम्बाई एवं चौड़ाई द्वारा पृथक-पृथक व्युत्पन्न क्षेत्र फलों के योग के बराबर होता है। तो ये प्रमेय महिर्षि बोधायन की देन है जिसे हम आज भी पढ़ते हैं और पईथागोरस ने बेईमानी करके उसे अपने नाम से प्रकाशित करवा लिया है और सारी दुनिया आजतक भ्रम में है |
———————————————————————————————
शुल्ब सूत्र या शुल्बसूत्र संस्कृत के सूत्रग्रन्थ हैं जो स्रौत कर्मों से सम्बन्धित हैं। इनमें यज्ञ-वेदी की रचना से सम्बन्धित ज्यामितीय ज्ञान दिया हुआ है। संस्कृत कें शुल्ब शब्द का अर्थ नापने की रस्सी या डोरी होता है। अपने नाम के अनुसार शुल्ब सूत्रों में यज्ञ-वेदियों को नापना, उनके लिए स्थान का चुनना तथा उनके निर्माण आदि विषयों का विस्तृत वर्णन है। ये भारतीय ज्यामिति के प्राचीनतम ग्रन्थ हैं।
शुल्बसूत्र, स्रौत सूत्रों के भाग हैं ; स्रौतसूत्र, वेदों के उपांग (appendices) हैं। शुल्बसूत्र ही भारतीय गणित के सम्बन्ध में जानकारी देने वाले प्राचीनतम स्रोत हैं।
——————————————————————————————-
शुल्बसूत्रों में बौधायन का शुल्बसूत्र सबसे प्राचीन माना जाता है। इन शुल्बसूत्रों का रचना समय १२०० से ८०० ईसा पूर्व माना गया है।
अपने एक सूत्र में बौधायन ने विकर्ण के वर्ग का नियम दिया है-
दीर्घचातुरास्रास्याक्ष्नाया रज्जुः पार्च्च्वमानी तिर्यङ्मानीच |
यत्पद्ययग्भूते कुरुतस्तदुभयं करोति ||
एक आयत का विकर्ण उतना ही क्षेत्र इकट्ठा बनाता है जितने कि उसकी लम्बाई और चौड़ाई अलग-अलग बनाती हैं। यहीं तो पाइथागोरस का प्रमेय है। स्पष्ट है कि इस प्रमेय की जानकारी भारतीय गणितज्ञों को पाइथागोरस के पहले से थी। दरअसल इस प्रमेय को बौधायन-पाइथागोरस प्रमेय कहा जाना चाहिए।
———————————————

क्या होगा यदि 5 second के लिए पृथ्वी से ऑक्सीजन गायब हो जाए, पढ़िए और शेयर करिये,

For welfare of world ,plz share to everybody.

5 सेकंड के लिए धरती बहुत, बहुत ठंडी हो जाएगी.
जितने भी लोग समुद्र किनारे लेटे है उन्हें तुरंत सनबर्न होने लगेगा.
दिन में भी अंधेरा छा जाएगा.
हर वह इंजन रूक जाएगा जिनमें आंतरिक दहन होता है. रनवे पर टेक ऑफ कर चुका प्लेन वही क्रैश हो जाएगा.
धातुओ के टुकड़े बिना वैल्डिंग के ही आपस में जुड़ जाएगे. ऑक्सीजन न होने का यह बहुत भयानक  साइड इफेक्ट होगा.
पूरी दुनिया में सबके कानों के पर्दे फट जाएगे. क्योंकि 21% ऑक्सीज़न के अचानक लुप्त होने से हवा का दबाव घट जाएगा. सभी का बहरा होना पक्का है.
कंक्रीट से बनी हर बिल्डिंग ढेर हो जाएगी.
हर जीवित कोशिका फूलकर फूट जाएगी. पानी में 88.8% ऑक्सीज़न होती है. ऑक्सीजन ना होने पर हाइड्रोजन गैसीय अवस्था में आ जाएगी और इसका वाॅल्यूम बढ़ जाएगा. हमारी साँसे बाद में रूकेगी, हम फूलकर पहले ही फट जाएँगे.
समुंद्रो का सारा पानी भाप बनकर उड़ जाएगा. क्योंकि बिना ऑक्सीजन पानी हाइड्रोजन गैस में बदल जाएगा और यह सबसे हल्की गैस होती है तो इसका अंतरिक्ष में उड़ना लाज़िमी है.
ऑक्सीजन के अचानक गुम होने से हमारे पैरों तले की जमीन खिसककर 10-15 किलोमीटर नीचे चली जाएगी

रूह कांप गई क्या। ये न हो इस लिए अपने जीवनकाल में कुछ वृक्ष जरूर लगाएं....... और ज्यादा से ज्यादा लोगों को लगाने के लिये प्रेरित करें.....
Dhnyavaad
        
Youtube channel, https://www.youtube.com/channel/UCSZU3voR9-aC4yqiqLlde9g.

Motivational : द्रण आत्मविश्वाश और कठिन परिश्रम से कुछ भी संभव है,

            gridy tech,
दृढ आत्मविश्वास और कठिन परिश्रम से कुछ भी संभव है!

बालक युनेज-सैंडो अत्यंत दुर्बल ओर रोगी था। अपनी बुरी आदतों के कारण उसने बचपन में ही अपना स्वास्थ्य खराब कर लिया। एक दिन सैंडो अपने पिता के साथ अजायबघर देखने गया। रोम की गैलरी में उसने प्राचीनकाल के बलिष्ठ पुरुषों की मूर्तियां देखी। उसे विश्वास न हुआ की ऐसे माँसल भुजाओं वाले स्वस्थ और बलवान लोग भी इस संसार में हो सकते हैं। सैंडो इन प्रतिमाओं को देखकर प्रभावित हुआ।
उसने पिता से पूछा- 'पिताजी! यह प्रतिमाएँ काल्पनिक हैं अथवा ऐसा स्वास्थ्य कभी संभव हो सकता है?' पिता ने बड़े आत्मा विश्वास के साथ कहा- 'हाँ-हाँ, संसार में संभव क्या नहीं है, यदि तुम भी नियमित व्यायाम ओर परिश्रम करो, संयमी ओर निरालस्य बन सको तो ऐसा ही स्वास्थ्य क्यों नहीं प्राप्त कर सकते।'
बात सैंडो के मन में बैठ गई। पिछली खराब जिंदगी का चोला उसने उतार फेंका ओर नियमपूर्वक व्यायाम ओर कठोर श्रम करना प्रारंभ कर दिया। फलस्वरूप वह एक प्रख्यात बलवान बना। उसने व्यायाम की अनेक विधेय भी निकाली, जिन्हें सैंडो की कलाएं कहा जाता है।
सच है कि दृढ आत्मविश्वास और कठिन परिश्रम के बल पर कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

क्या RSS करना चाहती है भारत का इस्लामीकरण,पढ़े पूरा लेख और विचार करे।

जय हिंद।
कृप्या धैर्य रख कर पूरा लेख ध्यान से पढ़ें ।
सर्वप्रथम भारत मे संघ की स्थिति और शक्ति जान लीजिये !
1. भारत भर में शाखा : 51335 (51 हजार 335)
2. भारत का कुल क्षेत्रफल : 32,87,263 sq.km (32 लाख 87 हजार 263)
3. अनुमानित स्वयसेवक संख्या :10 करोड़
4. प्रति वर्ष अनुमानित शाखा लगने की संख्या : 1,53,69,900 (करीब एक करोड़ 54 लाख)
5. RSS की उम्र : 90 वर्ष
RSS पर विशेष विश्लेषण
भारत मे sq.km मीटर पर संघ की कितनी लाखा लगती है तो उसके लिए भारत के कुल क्षेत्रफल को संघ की शाखा संख्या से भाग कर देंगे ।
sq.km par shakha =32,87,263  / 51335= 64.03
तो उत्तर आएगा 64 ।
इसका अर्थ ये हुआ भारत में हर 64 वर्ग किलो मीटर मैं एक शाखा लगती है ।
RSS का कहना है कि देशभर में संघ की सबसे अधिक शाखाए लगने वाला राज्य केरल है जहा 4500 शाखा लगती है । इसका विश्लेषण करे तो चोकाने वाले तथ्य सामने आते है ।
केरल राज्य का कुल क्षेत्रफल है = 38863
केरल मे प्रतिवर्ग किलोमीटर संघ की कितनी शाखाएँ लगती है ??
उसके लिए भी हम केरल के कुल क्षेत्रफल को संघ की केरल मे कुल शाखा से भाग करते है ।
शाखा प्रति वर्ग किलो मीटर =38863 / 4500 = 8.64
(केरल राज्य)                      
sq. km प्रति शाखा = 8.64
जहां एक ओर RSS का पुरे भारत में शाखा का कवरेज देखेगे तो हर 64 sq.km पर एक शाखा लगती है ।
पर केरल एक ऐसा राज्य है जहां RSS का कवरेज बढ़कर हर 8.64 sq.km पर एक शाखा जरूर लगती है ,
इसका यह अर्थ भी निकलता है की केरल ही ऐसा राज्य है जहा हर मोहल्ले में शाखा लगती है । हमें यहाँ जमीनी सच्चाई का भी विश्लेषण करना चाहिए ।
एक आकड़े के अनुसार देशभर में सबसे ज्यादा 6000 लवजिहाद के केस अकेले केरल राज्य मैं हुए है ।
अर्थात एक ऐसा राज्य जहा पर सबसे ज्यादा संघ की शाखा लगती है ।
अर्थात एक ऐसा राज्य जहा के हर मोहहले मैं एक संघ की शाखा लगती है
यदि केरल मे 6000 लव जेहाद के केस हैं तो संघ की प्रति शाखा पर कितने केस बने ??
6000 केस संख्या को 4500 संघ शाखा संख्या से भाग कीजिये ।
लवजिहाद केस प्रति शाखा =6000/4500 = 1.33
इसका अर्थ यह हुआ की केरल मैं एक से ज्यादा 1.33 लड़की लवजिहाद का शिकार प्रति शाखा प्रति मोहल्ला बनती है ।
दुर्भाग्य से यह हाल उस राज्य का है जहा संघ सबसे ज्यादा सक्रीय है ।
इसका अर्थ यह भी निकलता है की केरल की तरह अगर पुरे देश मैं RSS की शाखाएँ सबसे अधिक हो जाये , फिर भी देश पर RSS का प्रभाव नहीं पड़ेगा । मित्रो यह RSS के हिंदुत्व के उद्देश्य पर बहुत बड़ा सवाल खड़ा करता है ।
यह तथ्य चीख चीख कर हमे मजबूर कर देते है की क्या RSS वास्तव मैं हिंदुत्व का काम कर रही है या छलावा ? उनकी सक्रियता पर सवाल खड़े हो जाते है या RSS भारत का इस्लामीकरण करना चाहती है क्या ?
मित्रो अपने दिल पर हाथ रखकर 2 मिनट के लिए पूरी तरह निष्पक्ष होकर अपनी आत्मा से ये प्रश्न पूछिये , यदि संघ जितना 90 वर्ष पुराना अगर कोई मुस्लिम संगठन होता ,और उस संघठन मे संघ की तुलना मे मात्र आधे ही स्वयं सेवी होते तो क्या उस संघटन ने भारत को कब का मुस्लिम राष्ट्र ना बना दिया होता ???
क्या बिना सरकार और मीडिया की चिंता किए सब मंदिर नहीं तोड़े जा चुके होते ??
परंतु RSS से एक राम मंदिर तक नहीं बना , हिन्दू राष्ट्र बनाना तो दूर आजादी के 70 मे 120 करोड़ गाय काट डाली गई परंतु संघ इतने बड़े संघठन के बावजूद गौ ह्त्या तक को ना रोक पाया ।
संघ के जिताये हुए और संघ के दिये संस्कारों से लैस इनके प्रधानमंत्री मोदी साहब
80 % गौ रक्षको को फर्जी बताते है ।
मित्रो आज का RSS अपनी दिशासे भटक चूका है । हो सकता है आपको स्वीकार करने मे कई वर्ष लग जाये क्योंकि देश के लोगो को नेहरू-गांधी परिवार का सत्य समझने समझने मे ही 70 साल लग गये ।लेकिन ये जान लीजिये संघ का मुख्य उद्देश्य मात्र हिन्दूओं को भ्रमित करके भाजपा के लिए हिन्दू वोट बैंक का जुगाड़ करना है । और उसके लिए फर्जी गौ प्रेम ,राष्ट्र प्रेम , फोकट की ब्यान बाजी हिन्दू राष्ट्र , राम मंदिर,लव जिहाद ये सब कार्य इसी एक मात्र उद्देशय की पूर्ति के लिए है । और संघ कभी भी दूसरे हिदुत्ववादी संघठन को खड़ा नहीं होने देगा ।
अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !
योगेश कुमार मिश्र
ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता
एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)
-: सम्पर्क :-
-090 444 14408
Abhishek yadav.
Gridy tech utube.

Garanti of successes . Must read .

Join mntraa classes ,  garanti of successes of your hard work.  Read details and contact .

Jai mata durge.
Lucknow.

मंगल पांडे ने नहीं तिलका मांझी ने किया था अंग्रेज़ों के खिलाफ पहला विद्रोह।

मंगल पांडे ने नहीं तिलका मांझी ने किया था अंग्रेज़ों के खिलाफ पहला विद्रोह।


चीखती घटनाएं तो इतिहास में बड़ी सहजता से जगह पा लेती हैं, मगर ख़ामोश घटनाएं उतनी ही आसानी से नजरअंदाज़ भी कर दी जाती हैं, लेकिन कभी-कभी ख़ामोश घटनाएं ज़्यादा वज़नदार साबित होती हैं। भारत के इतिहास में कई क्रांतियां हुई हैं, लेकिन इतिहासकारों द्वारा इतिहास को या तो दबाया गया या तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।
भारत में अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ कई भारतीयों ने आवाज़ उठाई थी, कई युद्ध हुए और कई लोगों की जानें गई। सन 1857 में तत्कालीन भारतीय गवर्नर लॉर्ड डलहौजी के ‘डाक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स’ नियम के तहत सतारा, झांसी, नागपुर और अवध को कंपनी में जोड़ देने की वजह से अन्य देसी प्रांतो ने विद्रोह कर दिया। उसी समय ‘मंगल पांडे’ नाम के ब्रिटिश सैनिक ने ब्राह्मण होने की वजह से ‘एनफील्ड रायफल’ की गाय औेर सूअर की चर्बी से बने कारतूस का विरोध किया और ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ के खिलाफ बगावत कर दी।
इस तरह 1857 में कंपनी शासन के खिलाफ लड़ाई की शुरुआत हुई, जिसे भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा गया। मंगल पांडे का कोर्ट मार्शल करके 8 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी दे दी गई और इतिहासकारों ने उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रथम शहीद घोषित कर दिया। आज भी किताबों, स्कूलों, फिल्मों और नाटकों आदि में मंगल पांडे को प्रथम शहीद बताया जाता है। जबकि अंग्रेज़ों के खिलाफ जंग की शुरुआत बाबा तिलका मांझी के नेतृत्व में मंगल पांडे के जन्म से 90 वर्ष पूर्व सन 1770 में ही शुरू हो चुकी थी।
1750 में तिलकपुर गावं में जन्मे बाबा तिलका मांझी को, भारतीय इतिहासकारों की जातिवादी मानसिकता के कारण इतिहास में कहीं जगह नहीं मिली। तिलका मांझी ने गाय की चर्बी या किसी धार्मिक भावना को ठेस लगने के कारण अंग्रेज़ों के खिलाफ जंग की शुरुआत नहीं की थी। उन्होंने अन्याय और गुलामी के खिलाफ जंग छेड़ी थी। तिलका मांझी राष्ट्रीय भावना जगाने के लिए भागलपुर में स्थानीय लोगों को सभाओं में संबोधित करते थे। जाति और धर्म से ऊपर उठकर लोगों को राष्ट्र के लिए एकत्रित होने का आह्वान करते थे।
तिलका मांझी ने राजमहल की पहाड़ियों में अंग्रेज़ों के खिलाफ कई लड़ाईयां लड़ी। सन 1770 में पड़े अकाल के दौरान तिलका मांझी के नेतृत्व में संतालों ने सरकारी खजाने को लूट कर गरीबो में बांट दिया जिससे गरीब तबके के लोग तिलका मांझी से प्रभावित हुए और उनके साथ जुड़ गए। इसके बाद तिलका मांझी ने अंग्रेज़ों और सामंतो पर हमले तेज़ कर दिए। हर जगह तिलका मांझी की जीत हुई। सन 1784 में तिलका मांझी ने भागलपुर पर हमला किया और 13 जनवरी 1784 में ताड़ के पेड़ पर चढ़कर घोड़े पर सवार अंग्रेज़ कलेक्टर ‘अगस्टस क्लीवलैंड’ को अपने विष-बुझे तीर का निशाना बनाया और मार गिराया।
अंग्रेज कलेक्टर की मौत से ब्रिटिश सेना में आतंक मच गया। तिलका मांझी और उनके साथियों के लिए यह एक बड़ी कामयाबी थी। जब तिलका मांझी और उनके साथी इस जीत का जश्न मना रहे थे तब रात के अंधेरे में अंग्रेज सेनापति आयरकूट ने हमला बोला लेकिन किसी तरह तिलका मांझी बच निकले और उन्होंने राजमहल की पहाड़ियों में शरण लेकर अंग्रेज़ों के खिलाफ छापेमारी जारी रखी। तब अंग्रेज़ों ने पहाड़ों की घेराबंदी करके तिलका मांझी तक पहुंचने वाली तमाम सहायता रोक दी। मजबूरन तिलका मांझी को अन्न और पानी के अभाव के कारण पहाड़ों से निकल कर लड़ना पड़ा और एक दिन वो पकड़े गए। कहा जाता है कि तिलका मांझी को चार घोड़ों से घसीट कर भागलपुर ले जाया गया और बरगद के पेड़ से लटकाकर उन्हें फांसी दे दी गई थी।
जब तिलका मांझी को फांसी दी गई तब भारत के कथित प्रथम शहीद मंगल पांडे का जन्म भी नहीं हुआ था! भारत के आज़ादी के बाद जब भारतीय सिनेमा की शुरुवात हुई तो स्वतंत्रता संग्राम से सम्बंधित कई फिल्में बनी और लोगों ने बड़ी सराहना की। लेकिन बड़े दुःख की बात है कि भारत के प्रथम शहीद तिलका मांझी पर बॉलीवुड ने आज तक  कोई फिल्म नहीं बनाई जिससे भारत के लोग जान पाते कि आदिवासी  क्षेत्रों में भी वीर साहसी और योद्धा पाये जाते हैं।
भारत के आदिवासी वीर सपूतों एवं वीरांगनाओं की एक लम्बी लिस्ट है किस-किस की बात करूं, लेकिन बड़े अफ़सोस के साथ कहना चाहूंगा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के आदिवासी नायक एवं  वीरांगनाओं को शहीदों के रूप में याद ना करना अत्यन्त ही शर्मनाक बात है। जिस प्रकार से आदिवासी नायकों और वीरांगनाओं को मौत दी गई शायद ही कोई उस दर्द का एहसास कर सकता हो। लेकिन उस दर्द में भी आज़ादी की ख़ुशी छुपी हुई थी।
तिलका मांझी के इस बलिदान को इतिहासकारों ने भले ही नजरअंदाज़ कर दिया हो, लेकिन राजमहल के आदिवासी आज भी उनकी याद में लोकगीत गुनगुनाते है, उनके साहस की कथाएं सुनाते है। तिलका मांझी उनके दिलो में ज़िन्दा हैं। तिलका मांझी का नाम भले ही इतिहास में दर्ज़ नहीं, लेकिन बिहार के भागलपुर जिले में पिछली दो सदी से उनका नाम याद किया जाता रहा है। आज झारखण्ड और बिहार राज्यों में उनके नाम पर हाट, मुहल्लों और चौक का नामकरण किया गया है। बिहार के भागलपुर में तिलका मांझी के नाम पर 12 जुलाई 1960 में तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय नामकरण किया गया था।
स्वतंत्रता दिवस के दिन इन आदिवासी वीर सपूतों और वीरांगनाओं को भी याद किया जाए, इनके अदम्य साहस और वीरता को श्रद्धांजलि दी जाए और उन्हें राष्ट्रिय स्तर पर सम्मान दिया जाए।

फ्रिज रेफ्रीजिरेटर का जाने इतिहास। History of freez.

JAI MATA DEE DOSTO.
whtsapp .7068094926.
Youtube.==gridy tech.
दोस्तो आपके घर में फ़्रिज होगा ।लेकिन क्या 
आप फ़्रिज का इतिहास जानते है? ? कि कैसे ये युरोप के देशो से भारत में आया और क्यों आया ? ? ? ? दरअसल कुछ वर्ष पहले KELVINATOR नाम की फ़्रिज बनाने वाली कंपनी भारत में आई ।
क्यों आई ? ?क्या उसके मन में दया आ गई कि भारत के लोगो को ठंडा पानी पिलाना है ?नहीं कारण कुछ औ । वो कारण ये था कि KELVINATOR की marketing खत्म हो गयी पुरे युरोप और अमेरिका में |
क्यों खत्म हो गई ? ? ?
क्यों कि अमेरिका और युरोप के देशो में एक समस्या शुरु हो गई (कलोरो फ़लोरो कार्बन के एमिशन की ) (C.F.C) |
ये समस्या रेफ़ारिजरेटर के कारण हुई । क्योंके कि इससे C.F.C बहुत निकलता है । C.F.C से होता क्या है कि हमारे वातावरण एक़ अजोन परत होती है जो हमको सूर्य से निकलने वाली अॅल्ट्रा वालेट रेन से बचाती है ।ये अगर आपकी चमड़ी पर सीधी पर जाये तो आपकी चमड़ी जल जायेगी ।
तो हुआ ये कि कि रेफ़्रिजरेटर की जितनी तकनीकी दुनिया में विकसित हुई । उस से c.f.c की समस्या बढ़ गई और इतनी बढ़ गई कि युरोप के कुछ देश के आसमान में अजोन खत्म होने से एक बहुत भारी होल हो गया । जिससे वहां गर्मी बढ़ने लगी और गलेशियर पिघलने लगे । नदियओ में पानी ज्यादा होने लगा और वहां बाढ़ आ गई ।
1996 में अमेरिका के लासएंजलेस में बाढ़ आई । इतना बढ़ा अमेरिका का मैनेमेंट सिस्टम था लेकिन कुछ नहीं कर पाया । बाद पता लगा कि बाढ़ क्यों आई कि अमेरिका में गर्मी बढ़ गई और गलेशियर पिघले और नदियों पानी ज्यादा हुआ और बाढ़ आई ।
कारण पाता कि C.F.C एमिइशन बढ़ने से वातावरण में गर्मी बढ़ी । तो इन सारे देशो में एक भयंकर किस्म की घबराह्ट होने लगी । तो इन 12 ,13 देशो में नय एक समझोता किया कि धीरे धीरे इस c.f.c एमिइशन को technology ख्त्म कर देगें 2000 तक आते आते पुरा खत्म कर देगें । तो किसी ने सवाल किया कि c.f.c बनाने वाली टैकनोलोजी का क्या होगा । तो किसी ने कहा कि भारत में लाकर डंप कर देगें ।
फ़िर इसको लेकर वो भारत में घुस आये । अब डंप करने वाली वस्तु बिकेगी कैसे ? ? ?
तो इसके लिये उनहोने हैवी विज्ञापन किये कि आपका घर कुछ भी नहीं है अगर आपके घर में फ़्रिज नहीं है । आपका घर रद्दी है अगर आपके घर मे फ़्रिज नहीं है ।
अब रोज-रोज टी वी पर आप यही बात सुनेगे तो एक दिन उठा कर घर ले ही आयेगें । हिंदुस्तान के कुछ मूर्ख लोगो ने एक मिनट नहीं सोचा कि इस फ़्रिज की हमको क्या जरुर है ? जिस भारत में सुबह से शाम तक ताजी सब्जी मिलती हो ताजा पकाओ ,ताजा खाओ जैसे परंपरा हो , पानी ठंडा करने लिए मिट्टी के घड़े से बढ़िया ? क्या होगा ? करोड़ो वर्षो से ये देश मिट्टी के घड़े में पानी पीता आया है , लेकिन ये सब भूल कर हम फ्रिज ले आये है तो किया किया पहले रोज अच्छी भली ताजी सब्ज़ी खाते थे । अब सब्ज़िया ला ला कर उसको फ़्रिज में भर देते है ।
युरोप के देश सुखे है और वहां कुछ परंपरा भी ऐसी है कि रोज खाना नहीं बनाते । और सब्ज़िया भी रोज वहां मिलती नहीं है जो जाती है वो भारत से जाती है तो हफ़ते में एक दिन सब्ज़िया ख़रीद लाते उनको फ़्रिज में भर देते है वो पुरा हफ़ता खाते है ।
लेकिन हमारे भारत में तो हर दिन ताजी सब्ज़ी मिलती हैं और सुबह को अलग मिलती है दोपहर, शाम को अलग मिलती है । और भारत में हमारी मां हमे रोज गर्म गर्म रोटी बना कर देती है युरोप में किसी की मां नहीं देती ।
तो उनको जरुरत थी तो उनहोने अपने लिये फ़्रिज बनाया और और हम बिना वजह उठा इसे घर ले आये । अब एक और मूर्खता करते है पलास्टिक की बोतल मे फ़्रिज में ठंडा पानी रख देगें ।
आप जानते है पुरी दुनिया में पलास्टिक सबसे घटिया वस्तु है कुछ खाने और पीने के लिये! जपान और कई अन्य देशो खाने पीने की चीज़े पलस्टिक पैकिंग़ मे बेचने पर बैन लगा दिया है । । युरोप के देशो के लोगो को एक आदत है कोई भी चीज़ पीयें तो आधे से ज्यादा उनमे बर्फ़ डालेगें और एक दम ठंडी करके पीयेंगे ।
नतीजा ये है अमेरिका मे हर दुसरा आदमी कबजियत का शिकर हैं । पिछले एक सर्वे के अनुसार 90% अमेरिका के लोगो को कबजियत की परेशानी है घंटो घंटो टायलेट मे बैठे रहते हैं लेकिन टायलेट नहीं आती । वहां डाकटरो का कहना है कि उनके देश में कबजियत का सबसे बढ़ा कारण लोगो का ठंडा पानी पीना हैं अगर इससे बचन है तो ताजा पानी पियो ।
हमारे भारत में हजारो साल से शास्त्र यही सिखाते है कि ताजा पानी पियो ।
तो मित्रो विदेशियों द्वारा बहुत बार अपना माल बिकवाने के लिए पहले उस चीज को आपकी जरूरत बनाया जाता है !
और फिर आपके देश मे डंप किया जाता है !

jai shree krishna.

Hare Krishna

अर्जुन  श्री कृष्णजी से बोले :-
केशव ,जब मृत्यु सभी की होनी है तो हम सत्संग भजन सेवा सिमरन क्यों करे जो इंसान मौज मस्ती करता है मृत्यु तो उसकी भी होगी  ।

श्री कृष्णजी ने अर्जुन से कहा :- हे  पार्थ
बिल्ली जब चूहे को पकड़ती है तो दांतो से पकड़कर उसे मार कर खा जाती है । लेकिन उन्ही दांतो से जब अपने बच्चे को पकड़ती है तो उसे मारती नहीं बहुत ही नाजुक तरीके से एक जगह से दूसरी जगह पंहुचा देती है । दांत भी वही है मुह भी वही है पर परिणाम अलग अलग । ठीक उसी प्रकार मृत्यु भी सभी की होगी पर एक प्रभु के धाम में और दूसरा 84 के चक्कर में!! 🙏👏👌👏👌👏👌

रामायण के महारोचक तथ्य।

jai mata dee . om kalikaay namah.🏹🏹🏹🏹🏹🏹कभी सोचा है की प्रभु 🏹🏹श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था?
नहीं तो जानिये-
1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,
2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,
3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,
4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,
5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |
6 - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,
7 - कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,
8 - विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,
9 - बाण के पुत्र अनरण्य हुए,
10- अनरण्य से पृथु हुए,
11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,
12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,
13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,
14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,
15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,
16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,
17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,
18- भरत के पुत्र असित हुए,
19- असित के पुत्र सगर हुए,
20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,
21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,
22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,
23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |
24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |
25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,
26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,
27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,
28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,
29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,
30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,
31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,
32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,
33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,
34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,
35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,
36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,
37- अज के पुत्र दशरथ हुए,
38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |
इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ | शेयर करे ताकि हर हिंदू इस जानकारी को जाने..

🏹रामचरित मानस के कुछ रोचक तथ्य🏹

1:~मानस में राम शब्द = 1443 बार आया है।
2:~मानस में सीता शब्द = 147 बार आया है।
3:~मानस में जानकी शब्द = 69 बार आया है।
4:~मानस में बैदेही शब्द = 51 बार आया है।
5:~मानस में बड़भागी शब्द = 58 बार आया है।
6:~मानस में कोटि शब्द = 125 बार आया है।
7:~मानस में एक बार शब्द = 18 बार आया है।
8:~मानस में मन्दिर शब्द = 35 बार आया है।
9:~मानस में मरम शब्द = 40 बार आया है।

10:~लंका में राम जी = 111 दिन रहे।
11:~लंका में सीताजी = 435 दिन रहीं।
12:~मानस में श्लोक संख्या = 27 है।
13:~मानस में चोपाई संख्या = 4608 है।
14:~मानस में दोहा संख्या = 1074 है।
15:~मानस में सोरठा संख्या = 207 है।
16:~मानस में छन्द संख्या = 86 है।

17:~सुग्रीव में बल था = 10000 हाथियों का।
18:~सीता रानी बनीं = 33वर्ष की उम्र में।
19:~मानस रचना के समय तुलसीदास की उम्र = 77 वर्ष थी।
20:~पुष्पक विमान की चाल = 400 मील/घण्टा थी।
21:~रामादल व रावण दल का युद्ध = 87 दिन चला।
22:~राम रावण युद्ध = 32 दिन चला।
23:~सेतु निर्माण = 5 दिन में हुआ।

24:~नलनील के पिता = विश्वकर्मा जी हैं।
25:~त्रिजटा के पिता = विभीषण हैं।

26:~विश्वामित्र राम को ले गए =10 दिन के लिए।
27:~राम ने रावण को सबसे पहले मारा था = 6 वर्ष की उम्र में।
28:~रावण को जिन्दा किया = सुखेन बेद ने नाभि में अमृत रखकर।
यह जानकारी  महीनों के परिश्रम केबाद आपके सम्मुख प्रस्तुत है ।
आस्तिक हिंदू को भेज कर धर्म लाभ कमाये
जय श्री राम
🙏�  जय श्री राम  ..

जामा मस्जिद माता महाकाली के मंदिर को तोड़ के बनाई गई थी जानिए एक एक सबूत।

जामा मस्जिद पहले माँ भद्र काली और यमनोत्री देवी का हिन्दू मंदिर था । पढ़ें पूरी कहानी । Yogesh Mishra
मित्रो लालकिला शाहजहाँ के जन्म से सैकड़ों साल पहले “महाराज अनंगपाल तोमर द्वितीय” द्वारा दिल्ली को बसाने के क्रम में ही बनाया गया था जो कि महाभारत के अभिमन्यु के वंशज तथा महाराज पृथ्वीराज चौहान के नाना जी थे | इतिहास के अनुसार लाल किला का असली नाम “लाल कोट” है,

“लाल कोट” को जिसे महाराज अनंगपालद्वितीय द्वारा सन 1060 ईस्वी में दिल्ली शहर को बसाने के क्रम में ही बनवाया गया था जबकि शाहजहाँ का जन्म ही उसके सैकड़ों वर्ष बाद 1592 ईस्वी में हुआ है | इसके पूरे साक्ष्य “प्रथवीराज रासोसे” ग्रन्थ में मिलते हैं | किले के मुख्य द्वार पर बाहर हाथी की मूर्ति अंकित है जबकि इस्लाम मूर्ति के विरोधी होते हैं और राजपूत राजा लोग हाथियों के प्रेम के लिए विख्यात थे | इसके अलावा लाल किले के महल मे लगे सुअर (वराह) के मुह वाले चार नल अभी भी हैं यह भी इस्लाम विरोधी प्रतीक चिन्ह है |

महाराज अनंगपाल तोमर द्वितीय माँ भद्र काली के उपासक थे तथा भगवान श्री कृष्ण की पत्नी देवी यमनोत्री उनकी कुल देवी थी | इन्ही के लिये उन्होने अपने आवास “लाल कोट” (लाल किला ) के निकट ही सामने भगवा पत्थर (हिंदुओं का पवित्र रंग ) से भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था तथा प्रत्येक राजउत्सव उसी परिसर में हुआ करते थे

यहाँ की इमारतों में उपस्थित अष्टदलीय पुष्प, जंजीर, घंटियां, आदि के लक्षण वहां हिंदू धर्म चिन्हों के रूप में आज भी मौजूद हैं | हिंदुओं के मंदिर हिंदू सन्यासियों के भगवा रंग के अनुरूप भगवा पत्थरों ( लाल पत्थर ) से बनाए जाते थे जबकि मुसलमानों के इमारतें सफेद चूने से बनी होती थी और उन पर हरा रंग का प्रयोग किया जाता था | दिल्ली के जामा मस्जिद में कोई भी मुस्लिम प्रतीक चिन्ह निर्माण काल से प्रयोग नहीं हुआ था बल्कि इस मस्जिद की बनावट इसके आकार वास्तु आदि हिंदुओं के भव्य मंदिर के अनुरुप है |

शाहजहां 1627 में अपने पिता की मृत्यु होने के बाद वह गद्दी पर बैठे तो उन्होने चाहता था कि खुदा का दरबार उसके दरबार से ऊंचा हो । खुदा के घर का फर्श उसके तख्त और ताज से ऊपर हो, इसीलिए उसने महाराज अनंगपाल तोमर द्वितीय स्थापित माँ भद्र काली तथा भगवान श्री कृष्ण की पत्नी देवी यमनोत्री जो कि महाराज अनंगपाल कुल देवी थी उसे तुड़वा कर मंदिर से जुड़ी हुई भोजला नामक छोटी सी पहाड़ी जहां महाराज अनंगपाल राजकीय उत्सव के समय उत्सव देखने आने वालों के घोड़े बांधते थे उसे भी मस्जिद परिसर में मिलाने के लिये चुना और 6 अक्टूबर 1650 को मस्जिद को बनाने का काम शुरू हो गया।

मस्जिद बनाने के लिए 5000 मजदूरों ने छह साल तक काम किया । आखिरकार दस लाख के खर्च करके और हजारों टन नया पत्थर की मदद से माँ भद्र काली मंदिर के स्थान पर ये आलीशान मस्जिद बनवाई गयी । 80 मीटर लंबी और 27 मीटर चौड़ी इस मस्जिद में तीन गुंबद बनाए गए। साथ ही दोनों तरफ 41 फीट उंची मीनारे तामीर की गईं। इस मस्जिद में एक साथ 25 हजार लोग नमाज अदा कर सकते हैं। इस बेजोड़ मस्जिद का नाम भगवान श्री कृष्ण की पत्नी देवी “यमनोत्री” के नाम के कारण मुसलमान “य” की जगह “ज” शब्द का उच्चारण करते हैं अत: मस्जिद ए जहांनुमा रखा गया । जिसे फिर लोगों ने जामा मस्जिद कहना शुरू कर दिया।

मस्जिद के तैयार होते ही उज्बेकिस्तान के एक छोटे से शहर बुखारा के सैय्यद अब्दुल गफूर शाह को दिल्ली लाकर उन्हें यहाँ का इमाम घोषित किया गया और 24 जुलाई 1656 को जामा मस्जिद में पहली बार नमाज अदा की गई। इस नमाज में शाहजहां समेत सभी दरबारियों और दिल्ली के अवाम ने हिस्सा लिया। नमाज के बाद मुगल बादशाह ने इमाम अब्दुल गफूर को इमाम-ए-सल्तनत की पदवी दी और ये ऐलान भी किया कि उनका खानदान ही इस मस्जिद की इमामत करेंगे |

उस दिन के बाद से आजतक दिल्ली की जामा मस्जिद में इमामत का सिलसिला बुखारी खानदान के नाम हो गया | सैय्यद अब्दुल गफूर के बाद सय्यद अब्दुल शकूर इमाम बने। इसके बाद सैय्यद अब्दुल रहीम, सैय्यद अब्दुल गफूर, सैय्यद अब्दुल रहमान, सैय्यद अब्दुल करीम, सैय्यद मीर जीवान शाह, सैय्यद मीर अहमद अली, सैय्यद मोहम्मद शाह, सैय्यद अहमद बुखारी और सैय्यद हमीद बुखारी इमाम बने।

एक वक्त ऐसा भी था जब 1857 के बाद अंग्रेजों ने जामा मस्जिद में नमाज पर पाबंदी लगा दी और मस्जिद में अंग्रेजी फौज के घोड़े बांधे जाने लगे। आखिरकार 1864 में मस्जिद को दोबारा नमाजियों के लिए खोल दिया गया। नमाजियों के साथ-साथ दुनिया के कई जाने माने लोगों ने जामा मस्जिद की जमीन पर सजदा अदा किया है। चाहे वो सऊदी अरब के बादशाह हों या फिर मिस्त्र के नासिर। कभी ईरान के शाह पहलवी तो कभी इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्नो, सबने यहां सजदा किया।

ABHIshek singh Yadav uttam. whtsapp 7068094926.
jai mahakali maai.

लगेगा आपके बच्चे का दिमाग
Patrika 10 Mar 2017 15:39

अगर आप भी अपने बच्चे का दिमाग तेज करना चाहते हैं, तो उसे खाने में चुकंदर जरूर खिलाएं। इसमें नेचुरल नाइट्रेट्स होते हैं जिससे दिमाग में ब्लड फ्लो बूस्ट होता है। यहां पढ़ें चुकंदर की पूड़ी की रेसिपी -

सामग्री -

चुकंदर (टुकड़ों में कटा हुआ ) – 1 कप
गेहूं का आटा – ज़रुरत के अनुसार
अदरक – 1/2 इंच का टुकड़ा
लहसुन – 4-5
हरी मिर्च – 1
नमक – स्वादानुसार
लाल मिर्च पाउडर – स्वादानुसार
तेल – 1/2 टीस्पून
तेल- तलने के लिए

विधि -

- चुकंदर की पूड़ी बनाने के लिए, चुकंदर को 1/2 कप पानी और नमक के साथ प्रेशर कूकर में तेज आंच पर 1 सीटी आने तक पका लें।
- जब चुकंदर ठंडा हो जाए तब उसे पानी सहित अदरक, लहसुन और हरी मिर्च के साथ मिक्सी में पीसकर प्यूरी बना लें।
-एक बर्तन में चुकंदर की प्यूरी लें, उसमें गेहूं का आटा डालें, उतना ही आटा डालें जितना प्यूरी के साथ गूंथा जाए, आटा गूंथते समय अलग से पानी नहीं डालना चाहिए।
- फिर इसमें स्वादानुसार नमक, लाल मिर्च पाउडर, 1/2 टीस्पून तेल डालकर, कड़ा आटा गूंथ लें और ढककर 15-20 मिनट के लिए रख दें।
- गूंथे आटे को छोटे हिस्सों में बाट लें (नींबू के साइज के बराबर)। फिर नींबू की तरह गोल करें और चपटा कर लें।
- चकले पर चपटी लोई को रखकर बेलन की मदद से छोटी पूड़ी की तरह बेल लें।
- कड़ाही में तेल गरम करें, चकले से बेली गई पूड़ी उठाएं और मध्यम आंच पर तेल में डालकर उसे सब तरफ से गोल्डन ब्राउन और कुरकुरे होने तक तलें।
- चुकंदर की पूड़ी तैयार है, इसे किसी भी अचार के साथ परोसें ।

क्या आप जानते हैं 1g,2g, 3g, 4g , 5g.का मतलब ।Do u know about 2g 3g 4g 5G.


फास्ट इंटरनेट के इस दौर में, क्या आप जानते हैं क्या है 1G, 2G, 3G, 4G, 5G का मतलब...
Jagran 04 Mar 2017, 15:00
भारतीय बाजार में कई ऐसे स्मार्टफोन्स हैं जो 1G, 2G, 3G या 4G को सपोर्ट करते हैं। हर कोई 4जी फोन लेना चाहता है

नई दिल्ली। भारतीय बाजार में कई ऐसे स्मार्टफोन्स हैं, जो 1G, 2G, 3G या 4G को सपोर्ट करते हैं। हर कोई 4जी फोन लेना चाहता है, लेकिन क्या किसी को 4जी का मतलब पता है? जाहिर है कि कई लोगों को इस बारे में नहीं पता होगा। इसी के चलते आज हम आपके लिए ये जानकारी लाएं हैं। आज हम आपको 1G, 2G, 3G, 4G और 5G का मतलब बताने जा रहे हैं।
सबसे पहले हम आपको G का मतलब बताएंगे:
G का मतलब Generation है। जब भी किसी फोन में नई तकनीक लाई जाती है तो उसे नेक्सट जनेरेशन का स्मार्टफोन कहा जाता है। जैसे फोन की शक्ल अब बदल चुकी है, पहले wired फोन आते थे, फिर cordless फोन आए और अब वायरलैस फोन का चलन है।
वायरलैस फोन के लिए 1G सबसे पहली जनरेशन थी:
ये एनेलोग सिग्नल का इस्तेमाल करता था। इसे 1980 में पेश किया गया। इसकी स्पीड लिमिट 2.4 kbps पर काम करता था। सबसे पहले इसे अमेरिका में पेश किया गया था, इन फोन्स की बैटरी लाइफ काफी खराब होती थी। यही नहीं, इनकी वॉयस क्वालिटी और सिक्योरिटी भी खराब थी। आप नीचे दी गई तस्वीरों में उन फोन्स को देख सकते हैं।

1991 में आई 2G तकनीक:
यह GSM पर आधारित थी। यह डिजिटल सिग्नल इस्तेमाल करती थी। इसकी स्पीड 64 kbps थी। इसे पहले फिनलैंड में लॉन्च किया गया था। इन फोन्स से एसएमएस, कैमरा और मेलिंग जैसे सर्विसेस को शुरु किया गया। नीचे दी गई तस्वीरों में उन फोन्स को देख सकते हैं।

2000 में आई 3G तकनीक:
इसके जरिए हैवी गेम्स, बड़ी फाइल्स को ट्रांसफर करना और वीडियो कॉलिंग फीचर जैसे सर्विस दी जाने लगी। इन्हें स्मार्टफोन भी कहा जाता है। इसके बाद नए डाटा प्लान्स लॉन्च किए गए। नीचे दी गई तस्वीरों में फोन्स को देख सकते हैं।

2011 में आई 4जी तकनीक:
इसके जरिए यूजर्स 100 Mbps यानि 1 Gbps की स्पीड का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये 3G से ज्यादा महंगा है। हालांकि, लुक के मामले में दोनों फोन में कोई अंतर नहीं है। नीचे दी गई तस्वीरों में फोन्स को देख सकते हैं।

2020 में लॉन्च हो सकता है 5G:
ऐसा माना जा रहा है कि इसकी कनेक्टिविटी और स्पीड में कोई लिमिट नहीं होगी। ये भविष्य की वायरलैस तकनीक होगी। 5जी सपोर्ट फोन में ज्यादा सिक्योरिटी होगी।

Goodby stone.


जय माता दी।
इन नुसखों की सबको जरूरत है, कृपा शेयर करके पुणय कमायें।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
1. पथरी का इलाज घरेलू नुस्खे से करना हो तो पथरचट्टा का 1 पत्ता और 4 दाने मिश्री पीस कर 1 गिलास पानी के साथ खाली पेट पिए।

2. 2 ग्राम मिश्री, 1 ग्राम सूखा धनिया और 1 ग्राम सरपगंधा पीस कर पानी के साथ लेने से हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है।

3. अगर आप को शूगर बढ़ने की बीमारी है तो सुबह सुबह खाली पेट करेले का जूस पिये। जूस बनाने से पहले करेले के बीज निकाल दे। जूस निकलने के बाद इसमें थोड़ा पानी मिलाये और पिये। इस उपाय को 2 महीने तक लगातार करे आपकी शूगर कंट्रोल में रहेगी।

4. शरीर में खून की कमी पूरी करने के लिये 1 गिलास मीठे दूध में 5 ग्राम बेलगिरी चूरन मिला कर पिये। कुछ दिन लगातार इस उपाय को करने से खून की कमी दूर होने लगती है।

5. खूनी बवासीर के इलाज में खून को रोकने के लिए 10 से 12 ग्राम धुले हुए काले तिल को घर में बनाया हुआ ताज़ा मक्खन के साथ खाये। इस के निरंतर प्रयोग करने से बवासीर में खून का निकलना  बंद हो जाता है।

6. सर्दी जुकाम की समस्या में नाक बंद होने लगे तो थोड़ी सी अज्वाइन पीस कर किसी पतले कपड़े में बाँध ले और थोड़ी थोड़ी देर में इसे सूंघे, इससे नाक खुल जाएगी। जाने सर्दी जुकाम के इलाज के देसी नुस्खे कैसे करे।

7. अगर किसी को लकवे का अटैक पड़े तो तुरंत 50 से 100 ग्राम तिल का तेल गुनगुना कर के पिला दे और कच्चा लहसुन चबाने को दे।

8. मसूड़ों में दर्द, दाँत दर्द और सूजन की समस्या का उपचार करने के लिए 1 ग्लास पानी में 3 से 4 पत्ते अमरूद के उबाल ले और हल्का गुनगुना होने पर छान ले। अब इस पानी से थोड़ा नमक मिला कर कुल्ला करे, दांतों और मसूड़ों के दर्द से छुटकारा मिलेगा।

9. 1 गिलास पानी में थोड़ी सी गिलोय और 5 से 6 तुलसी के पत्ते डाल कर उबाल ले और काढ़ा बना कर पिये। इस काढ़े मे पपीते के 3 से 4 पत्तों का रस मिला कर पीने से प्लेट्लेट की मात्रा तेजी से बढ़ती है। ये आयुर्वेदिक दवा स्वाइन फ़्लू, डेंगू और चिकनगुनिया मे रामबाण उपचार का काम करती है।

10. चेहरे पर दाग धब्बे और झुर्रियां हो तो थोड़े से बेसन में थोड़ी सी मलाई और 2 चम्मच नींबू का रस डाल कर अच्छे से मिला ले। अब इस मिश्रण को आधे घंटे के लिये चेहरे पर लगा कर रखे फिर धो ले।  इस gharelu upay से चेहरे की खुश्की दूर होती है, झुर्रियां सॉफ होती है और चेहरे पर चमक आती है।

11. सर्दियों में होने वाले रोगों से बचने और स्वस्थ रहने के लिए जरुरी है की खान पान का ध्यान रखा जाये। सर्दियों के मौसम में काली मिर्च, अदरक, लहसुन, तिल, केसर और गुड जैसी चीज़े खाना चाहिये। ठण्ड में विटामिन सी के लिए संतरा, अमरुद और नींबू का सेवन करे।

12. गले में टॉन्सिल और छाले होने पर आधा लीटर पानी में 20 ग्राम मेथी दाना डाल कर धीमी आँच पर पकाए और पानी को अच्छी तरह उबलने दे। पानी ठंडा होने पर इसे छान ले फिर इस में नमक डाल कर 5 से 10 मिनट तक गरारे करे। इस उपाय को दिन में 2 – 3 बार करने पर टॉन्सिल्स से होने वाला दर्द कम होने लगेगा।

13. जब छोटे बच्चों के दाँत निकलते है तब उन्हें काफ़ी पीड़ा होती है। इसके इलावा उल्टी – दस्त और बुखार जैसी परेशानियां भी होती है। ऐसे में बच्चों को संतरे का रस देने से उनकी बैचेनी दूर होती है और पाचन शक्ति बढ़ती है। एक बार में 2 चम्मच रस ही दे और दिन में कम से कम 3 बार आप बच्चे को संतरे का रस पिलाये।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

खाना खाने के बाद तुरंत पानी पीना या ठंढा पानी पीना क्यों है खतरनाक।

Jai hind vande matram.

कृपया मैसेज को पढें और अपने दोस्तों को भेजे

ये जानना बहुत जरुरी है.!

हम पानी क्यों ना पीये खाना खाने के बाद.!
क्या कारण है.?
हमने दाल खाई,
हमने सब्जी खाई,
हमने रोटी खाई,
हमने दही खाया,
लस्सी पी, दूध, दही, छाझ, लस्सी, फल आदि.!
ये सब कुछ भोजन के रूप मे हमने ग्रहण किया
ये सब कुछ हमको उर्जा देता है
और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है.!
पेट मे एक छोटा सा स्थान होता है
जिसको हम हिंदी मे कहते है "अमाशय"
उसी स्थान का संस्कृत नाम है "जठर"
उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते है
"epigastrium"
ये एक थेली की तरह होता है
और यह जठर
हमारे शरीर मे सबसे
महत्वपूर्ण है
क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी मे आता है।
ये बहुत छोटा सा स्थान हैं
इसमें अधिक से अधिक 350gms खाना आ सकता है.!
हम कुछ भी खाते
सब ये अमाशय मे आ जाता है.!

आमाशय मे अग्नि प्रदीप्त होती है

उसी को कहते हे "जठराग्न".!
ये जठराग्नि है
वो अमाशय मे प्रदीप्त होने वाली आग है ।
ऐसे ही पेट मे होता है
जेसे ही आपने खाना खाया
की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी..t
यह ऑटोमेटिक है,
जेसे ही अपने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह मे डाला
की इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गई.!
ये अग्नि तब तक जलती हे जब तक खाना' पचता है |

अब अपने खाते ही
गटागट पानी पी लिया
और खूब ठंडा पानी पी लिया.r

और कई लोग तो बोतल पे बोतल पी जाते है.!

अब जो आग (जठराग्नि) जल रही थी
वो बुझ गयी.!
आग अगर बुझ गयी
.तो खाने की पचने की जो क्रिया है
वो रुक गयी.!
You suffer from IBS,
Never CURABLE

अब हमेशा याद रखें
खाना जाने पर
हमारे पेट में दो ही क्रिया होती है,
एक क्रिया है
जिसको हम कहते हे
"Digestion"
और दूसरी है "fermentation" फर्मेंटेशन का मतलब है
सडना...!
और
डायजेशन का मतलब हे
पचना.!

आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी
तो खाना पचेगा,
खाना पचेगा
तो उससे रस बनेगा.!
जो रस बनेगा
तो उसी रस से
मांस, मज्जा, रक्त, वीर्य, हड्डिया, मल, मूत्र और अस्थि बनेगा
और सबसे अंत मे मेद बनेगा.!

ये तभी होगा
जब खाना पचेगा.!

यह सब हमें चाहिए.
ये तो हुई खाना पचने की बात.
अब जब खाना सड़ेगा तब क्या होगा..?

खाने के सड़ने पर
सबसे पहला जहर जो बनता है
वो हे यूरिक एसिड (uric acid)

कई बार आप डॉक्टर के पास जाकर कहते है
की मुझे घुटने मे दर्द हो रहा है,
मुझे कंधे-कमर मे दर्द हो रहा है

तो डॉक्टर कहेगा आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है
आप ये दवा खाओ,
वो दवा खाओ यूरिक एसिड कम करो|
और एक दूसरा उदाहरण खाना

जब खाना सड़ता है,
तो यूरिक एसिड जेसा ही एक दूसरा विष बनता है
जिसको हम कहते हे
LDL (Low Density lipoprotive)
माने खराब कोलेस्ट्रोल (cholesterol)

जब आप
ब्लड प्रेशर(BP) चेक कराने
डॉक्टर के पास जाते हैं
तो वो आपको कहता है (HIGH BP)

हाई-बीपी है
आप पूछोगे...
कारण बताओ.?

तो वो कहेगा
कोलेस्ट्रोल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है |

आप ज्यादा पूछोगे
की कोलेस्ट्रोल कौनसा बहुत है ?

तो वो आपको कहेगा
LDL बहुत है |

इससे भी ज्यादा
खतरनाक एक  विष हे
वो है.... VLDL
(Very Low Density Lipoprotive)

ये भी कोलेस्ट्रॉल जेसा ही विष है।
अगर VLDL बहुत बढ़ गया
तो आपको भगवान भी नहीं बचा सकता|

खाना सड़ने पर
और जो जहर बनते है
उसमे एक ओर विष है
जिसको अंग्रेजी मे हम कहते है triglycerides.!

जब भी डॉक्टर
आपको कहे
की आपका "triglycerides" बढ़ा हुआ हे
तो समज लीजिए
की आपके शरीर मे
विष निर्माण हो रहा है |

तो कोई यूरिक एसिड के नाम से कहे,
कोई कोलेस्ट्रोल के नाम से कहे,
कोई LDL -VLDL के नाम से कहे
समझ लीजिए
की ये विष हे
और ऐसे विष 103 है |

ये सभी विष
तब बनते है
जब खाना सड़ता है |

मतलब समझ लीजिए
किसी का कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है
तो एक ही मिनिट मे ध्यान आना चाहिए
की खाना पच नहीं रहा है ,

कोई कहता हे
मेरा triglycerides बहुत बढ़ा हुआ है
तो एक ही मिनिट मे डायग्नोसिस कर लीजिए आप...!
की आपका खाना पच नहीं रहा है |

कोई कहता है
मेरा यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है
तो एक ही मिनिट लगना चाहिए समझने मे
की खाना पच नहीं रहा है |

क्योंकि खाना पचने पर
इनमे से कोई भी जहर नहीं बनता.!

खाना पचने पर
जो बनता है
वो है....
मांस, मज्जा, रक्त, वीर्य, हड्डिया, मल, मूत्र, अस्थि.!

और

खाना नहीं पचने पर बनता है....
यूरिक एसिड,
कोलेस्ट्रोल,
LDL-VLDL.!


और यही
आपके शरीर को
रोगों का घर बनाते है.!

पेट मे बनने वाला यही जहर
जब ज्यादा बढ़कर खून मे आते है !
तो खून दिल की नाड़ियो मे से निकल नहीं पाता
और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा
जो खून मे आया है
इकट्ठा होता रहता है
और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है
जिसे आप
heart attack कहते हैं.!

तो हमें जिंदगी मे ध्यान इस बात पर देना है
की जो हम खा रहे हे
वो शरीर मे ठीक से पचना चाहिए
और खाना ठीक से पचना चाहिए
इसके लिए पेट मे
ठीक से आग (जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए|

क्योंकि
बिना आग के खाना पचता नहीं हे
और खाना पकता भी नहीं है

महत्व की बात
खाने को खाना नहीं
खाने को पचाना है |

आपने क्या खाया कितना खाया
वो महत्व नहीं हे.!

खाना अच्छे से पचे
इसके लिए वाग्भट्ट जी ने सूत्र दिया.!

"भोजनान्ते विषं वारी"

(मतलब
खाना खाने के तुरंत बाद
पानी पीना
जहर पीने के बराबर है)

इसलिए खाने के
तुरंत बाद पानी
कभी मत पिये..!

अब आपके मन मे सवाल आएगा
कितनी देर तक नहीं पीना.?

तो 1 घंटे 48 मिनट तक नहीं पीना !

अब आप कहेंगे
इसका
क्या calculation हैं.?

बात ऐसी है....!

जब हम खाना खाते हैं
तो जठराग्नि द्वारा
सब एक दूसरे मे
मिक्स होता है
और फिर खाना पेस्ट मे बदलता हैं.!

पेस्ट मे बदलने की क्रिया होने तक
1 घंटा 48 मिनट का समय लगता है !

उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है.!

(बुझती तो नहीं लेकिन बहुत धीमी हो जाती है)

पेस्ट बनने के बाद
शरीर मे रस बनने की
परिक्रिया शुरू होती है !

तब हमारे शरीर को
पानी की जरूरत होती हैं।

तब आप जितना इच्छा हो
उतना पानी पिये.!

जो बहुत मेहनती लोग है
(खेत मे हल चलाने वाले,
रिक्शा खीचने वाले,
पत्थर तोड़ने वाले)

उनको 1 घंटे के बाद ही
रस बनने लगता है
उनको  घंटे बाद
पानी पीना चाहिए !

अब आप कहेंगे
खाना खाने के पहले
कितने मिनट तक पानी पी सकते हैं.?

तो खाना खाने के
45 मिनट पहले तक
आप पानी पी सकते हैं !

अब आप पूछेंगे
ये मिनट का calculation....?

बात ऐसी ही
जब हम पानी पीते हैं
तो वो शरीर के प्रत्येक अंग तक जाता है !

और अगर बच जाये
तो 45 मिनट बाद मूत्र पिंड तक पहुंचता है.!

तो पानी - पीने से मूत्र पिंड तक आने का समय 45 मिनट का है !

तो आप खाना खाने से
45 मिनट पहले ही
पाने पिये.!

इसका जरूर पालण करे..!

अधिक अधिक लोगो को बताएं.!
If you think that
It's educating people
Then you may spread.
It's all upto you.


Dr. Komal agrawal Nagpur

आप खा रहे है धीमा जहर । नापुनशाक्ता।आदि रोग।

*
आप की हत्या की साजिश*
रची गई है!
और आप स्वयं ही आत्म हत्या के पक्ष में हैं!
वो भी परिवार सहित.?

*आप का और आप के परिवार का जीवन बचाना चाहते हैं तो यह पोस्ट जरूर पढे!*

सबसे ज्यादा मौतें देने वाला भारत में कोई है तो वह है... *रिफाईनड तेल*

 केरल आयुर्वेदिक युनिवर्सिटी आंफ रिसर्च केन्द्र के अनुसार, हर वर्ष 20 लाख लोगों की मौतों का कारण बन गया है... *रिफाईनड तेल*

आखिर भाई राजीव दीक्षित जी के कहें हुए कथन सत्य हो ही गये!

रिफाईनड तेल से *DNA डैमेज, RNA नष्ट, , हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज, ब्रेन डैमेज, लकवा शुगर(डाईबिटीज), bp नपुंसकता *कैंसर* *हड्डियों का कमजोर हो जाना, जोड़ों में दर्द,कमर दर्द, किडनी डैमेज, लिवर खराब, कोलेस्ट्रोल, आंखों रोशनी कम होना, प्रदर रोग, बांझपन, पाईलस, स्केन त्वचा रोग आदि!. एक हजार रोगों का प्रमुख कारण है।*

*रिफाईनड तेल बनता कैसे हैं।*

बीजों का छिलके सहित तेल निकाला जाता है, इस विधि में जो भी Impurities तेल में आती है, उन्हें साफ करने वह तेल को स्वाद गंध व कलर रहित करने के लिए रिफाइंड किया जाता है
*वाशिंग*-- वाशिंग करने के लिए पानी, नमक, कास्टिक सोडा, गंधक, पोटेशियम, तेजाब व अन्य खतरनाक एसिड इस्तेमाल किए जाते हैं, ताकि Impurities इस बाहर हो जाएं |इस प्रक्रिया मैं तारकोल की तरह गाडा वेस्टेज (Wastage} निकलता है जो कि टायर बनाने में काम आता है। यह तेल ऐसिड के कारण जहर बन गया है।

*Neutralisation*--तेल के साथ कास्टिक या साबुन को मिक्स करके 180°F पर गर्म किया जाता है। जिससे इस तेल के सभी पोस्टीक तत्व नष्ट हो जाते हैं।

*Bleaching*--इस विधी में P. O. P{प्लास्टर ऑफ पेरिस} /पी. ओ. पी. यह मकान बनाने मे काम ली जाती है/ का उपयोग करके तेल का कलर और मिलाये गये कैमिकल को 130 °F पर गर्म करके साफ किया जाता है!

*Hydrogenation*-- एक टैंक में तेल के साथ निकोल और हाइड्रोजन को मिक्स करके हिलाया जाता है। इन सारी प्रक्रियाओं में तेल को 7-8 बार गर्म व ठंडा किया जाता है, जिससे तेल में पांलीमर्स बन जाते हैं, उससे पाचन प्रणाली को खतरा होता है और भोजन न पचने से सारी बिमारियां होती हैं।
*निकेल*एक प्रकार का Catalyst metal (लोहा) होता है जो हमारे शरीर के Respiratory system,  Liver,  skin,  Metabolism,  DNA,  RNA को भंयकर नुकसान पहुंचाता है।

रिफाईनड तेल के सभी तत्व नष्ट हो जाते हैं और ऐसिड (कैमिकल) मिल जाने से यह भीतरी अंगों को नुकसान पहुंचाता है।

जयपुर के प्रोफेसर श्री राजेश जी गोयल ने बताया कि, गंदी नाली का पानी पी लें, उससे कुछ भी नहीं होगा क्योंकि हमारे शरीर में प्रति रोधक क्षमता उन बैक्टीरिया को लडकर नष्ट कर देता है, लेकिन रिफाईनड तेल खाने वाला व्यक्ति की अकाल मृत्यु होना निश्चित है!

*दिलथाम के अब पढे*

*हमारा शरीर करोड़ों Cells (कोशिकाओं) से मिलकर बना है, शरीर को जीवित रखने के लिए पुराने Cells नऐ Cells से Replace होते रहते हैं नये Cells (कोशिकाओं) बनाने के लिए शरीर खुन का उपयोग करता है, यदि हम रिफाईनड तेल का उपयोग करते हैं तो खुन मे Toxins की मात्रा बढ़ जाती है व शरीर को नए सेल बनाने में अवरोध आता है, तो कई प्रकार की बीमारियां जैसे* -— कैंसर *Cancer*,  *Diabetes* मधुमेह, *Heart Attack* हार्ट अटैक, *Kidney Problems* किडनी खराब,
*Allergies,  Stomach Ulcer,  Premature Aging,  Impotence,  Arthritis,  Depression,  Blood pressure आदि हजारों बिमारियां होगी।*

 रिफाईनड तेल बनाने की प्रक्रिया से तेल बहुत ही मंहगा हो जाता है, तो इसमे पांम आंयल मिक्स किया जाता है! (पांम आंयल सवमं एक धीमी मौत है)

*सरकार का आदेश*--हमारे देश की पॉलिसी अमरिकी सरकार के इशारे पर चलती है। अमरीका का पांम खपाने के लिए,मनमोहन सरकार ने एक अध्यादेश लागू किया कि,
प्रत्येक तेल कंपनियों को 40 %
खाद्य तेलों में पांम आंयल मिलाना अनिवार्य है, अन्यथा लाईसेंस रद्द कर दिया जाएगा!
इससे अमेरिका को बहुत फायदा हुआ, पांम के कारण लोग अधिक बिमार पडने लगे, हार्ट अटैक की संभावना 99 %बढ गई, तो दवाईयां भी अमेरिका की आने लगी, हार्ट मे लगने वाली  स्प्रिंग(पेन की स्प्रिंग से भी छोटा सा छल्ला) , दो लाख रुपये की बिकती हैं,
यानी कि अमेरिका के दोनो हाथों में लड्डू, पांम भी उनका और दवाईयां भी उनकी!

*अब तो कई नामी कंपनियों ने पांम से भी सस्ता,, गाड़ी में से निकाला काला आंयल* *(जिसे आप गाडी सर्विस करने वाले के छोड आते हैं)*
*वह भी रिफाईनड कर के खाद्य तेल में मिलाया जाता है, अनेक बार अखबारों में पकड़े जाने की खबरे आती है।*

सोयाबीन एक दलहन हैं, तिलहन नही...
दलहन में... मुंग, मोठ, चना, सोयाबीन, व सभी प्रकार की दालें आदि होती है।
तिलहन में... तिल, सरसों, मुमफली, नारियल, बादाम आदि आती है।
अतः सोयाबीन तेल ,  पेवर पांम आंयल ही होता है। पांम आंयल को रिफाईनड बनाने के लिए सोयाबीन का उपयोग किया जाता है।
सोयाबीन की एक खासियत होती है कि यह,
प्रत्येक तरल पदार्थों को सोख लेता है,
पांम आंयल एक दम काला और गाढ़ा होता है,
उसमे साबुत सोयाबीन डाल दिया जाता है जिससे सोयाबीन बीज उस पांम आंयल की चिकनाई को सोख लेता है और फिर सोयाबीन की पिसाई होती है, जिससे चिकना पदार्थ तेल तथा आटा अलग अलग हो जाता है, आटा से सोया मंगोडी बनाई जाती है!
आप चाहें तो किसी भी तेल निकालने वाले के सोयाबीन ले जा कर, उससे तेल निकालने के लिए कहे!महनताना वह एक लाख रुपये  भी देने पर तेल नही निकालेगा, क्योंकि. सोयाबीन का आटा बनता है, तेल नही!

सूरजमुखी, चावल की भूसी (चारा) आदि के तेल रिफाईनड के बिना नहीं निकाला जा सकता है, अतः ये जहरीले ही है!

फॉर्च्यून.. अर्थात.. आप के और आप के परिवार के फ्यूचर का अंत करने वाला.

सफोला... अर्थात.. सांप के बच्चे को सफोला कहते हैं!
5 वर्ष खाने के बाद शरीर जहरीला
10 वर्ष के बाद.. सफोला (सांप का बच्चा अब सांप बन गया है.
15 साल बाद.. मृत्यु... यानी कि सफोला अब अजगर बन गया है और वह अब आप को निगल जायगा.!

पहले के व्यक्ति 90.. 100 वर्ष की उम्र में मरते थे तो उनको मोक्ष की प्राप्ति होती थी, क्योंकि.उनकी सभी इच्छाए पूर्ण हो जाती थी।

और आज... अचानक हार्ट अटैक आया और कुछ ही देर में मर गया....?
उसने तो कल के लिए बहुत से सपने देखें है, और अचानक मृत्यु..?
अधुरी इच्छाओं से मरने के कारण.. प्रेत योनी मे भटकता है।

*राम नही किसी को मारता.... न ही यह राम का काम!*
*अपने आप ही मर जाते हैं.... कर कर खोटे काम!!*
गलत खान पान के कारण, अकाल मृत्यु हो जाती है!

*सकल पदार्थ है जग माही..!*
*कर्म हीन नर पावत नाही..!!*
अच्छी वस्तुओं का भोग,.. कर्म हीन, व आलसी व्यक्ति संसार की श्रेष्ठ वस्तुओं का सेवन नहीं कर सकता!

तन मन धन और आत्मा की तृप्ति के लिए सिर्फ कच्ची घाणी का तेल, तिल सरसों, मुमफली, नारियल, बादाम आदि का तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए! पोस्टीक वर्धक और शरीर को निरोग रखने वाला सिर्फ कच्ची घाणी का निकाला हुआ तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए!
आज कल सभी कम्पनी.. अपने प्रोडक्ट पर कच्ची घाणी का तेल ही लिखती हैं!
वह बिल्कुल झूठ है.. सरासर धोखा है!
कच्ची घाणी का मतलब है कि,, लकड़ी की बनी हुई, औखली और लकडी का ही मुसल होना चाहिए! लोहे का घर्षण नहीं होना चाहिए. इसे कहते हैं.. कच्ची घाणी.
जिसको बैल के द्वारा चलाया जाता हो!
आजकल बैल की जगह मोटर लगा दी गई है!
लेकिन मोटर भी बैल की गती जितनी ही चले!
लोहे की बड़ी बड़ी सपेलर (मशिने) उनका बेलन लाखों की गती से चलता है जिससे तेल के सभी पोस्टीक तत्व नष्ट हो जाते हैं और वे लिखते हैं.. कच्ची घाणी...
.....................................................

इस पोस्ट को शेयर किजिए यह लोगों के प्राण बचाने की मुहिम हैं, लेकिन इस सम्पर्क सूत्र को मिटाये नहीं, क्योंकि यह व्यापार नहीं,, स्वदेशी का बढावा है, विदेशी लुट से छुटकारा है! स्वास्थ्य की सेवा है, शुद्धता लेने वालों के लिए.. सेवा केन्द्र है!
पता के अभाव के कारण, लोगों को शुद्ध तेल नहीं मिलता है!          🙏🙏🙏🙏🙏

The kashmir file movie download link. download the kashmir file movie. HD, Full hd.

 watch and download. the kashmir file direct. download the kashmir file. for any problem in downloading msg me and follow me on insta i will...

Popular